
नैनीताल। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद केंद्रीय न्याय एवं विधि मंत्रालय ने अधिवक्ता आलोक मेहरा को उत्तराखंड हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त कर दिया है। उनकी नियुक्ति पर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने खुशी जताते हुए उन्हें बधाई दी है। बुधवार देर शाम, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट के माध्यम से इस नियुक्ति की जानकारी साझा की।
15 महीने से लंबित थी फाइल, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने की थी संस्तुति
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अक्टूबर 2023 में आलोक मेहरा के नाम की संस्तुति की थी। यह मामला बीते 15 महीनों से लंबित था, लेकिन आखिरकार 12 फरवरी 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की स्वीकृति मिलने के बाद उनकी नियुक्ति के आधिकारिक आदेश जारी कर दिए गए।
संविधान, सिविल और राजस्व मामलों के विशेषज्ञ
आलोक मेहरा उत्तराखंड हाईकोर्ट की स्थापना से ही वहां वकालत कर रहे हैं और संवैधानिक, सिविल और राजस्व मामलों के विशेषज्ञ माने जाते हैं। फरवरी 1972 में नैनीताल में जन्मे आलोक मेहरा एक प्रतिष्ठित कानूनी परिवार से आते हैं। उनके पिता, स्वर्गीय गोपाल सिंह मेहरा, जाने-माने अधिवक्ता थे और नैनीताल जिला अदालत में 63 वर्षों तक वकालत करने के साथ-साथ उत्तराखंड बार काउंसिल के संस्थापक सदस्य भी रहे हैं। उनकी माता धना देवी, राजकीय बालिका इंटर कॉलेज धारचूला में प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुई हैं। वहीं, उनके दादा स्वर्गीय धर्म सिंह मेहरा नैनीताल के राजस्व विभाग में महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत थे।
शैक्षिक और कानूनी सफर
नवनियुक्त न्यायाधीश आलोक मेहरा ने हाईस्कूल तक की शिक्षा नैनीताल के सेंट जोसेफ कॉलेज से प्राप्त की, जबकि इंटरमीडिएट की पढ़ाई राजकीय इंटर कॉलेज, नैनीताल से पूरी की। स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री उन्होंने एमबीपीजी कॉलेज, हल्द्वानी से प्राप्त की। इसके बाद, 1998 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। वर्ष 1999 में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में उनका पंजीयन हुआ और उन्होंने अपनी वकालत की शुरुआत नैनीताल जिला अदालत से की।
उनकी नियुक्ति से उत्तराखंड के न्यायिक क्षेत्र में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी गहरी कानूनी समझ और वर्षों का अनुभव उत्तराखंड हाईकोर्ट को मजबूत करने में सहायक होगा।