भूतत्व विभाग की बड़ी पहल: उत्तरकाशी में हर साल 15 लाख टन सिलिका रेत का खनन
उत्तराखंड के भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग ने प्रदेश में सिलिका रेत के खनन की योजना बनाई है, जो राज्य में पहली बार शुरू होने जा रहा है। यह रेत कांच उद्योग और अन्य औद्योगिक जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण है। इसके लिए उत्तरकाशी जिले में नौ स्थानों, जो लगभग 215 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हैं, को चिह्नित किया गया है। विभाग की योजना के अनुसार, हर साल लगभग 15 लाख टन सिलिका रेत निकाली जाएगी, जिससे राज्य को करीब 250 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की संभावना है।
विभाग के अनुसार, चिह्नित स्थानों पर सिलिका रेत की टेस्टिंग का काम पूरा हो चुका है और अब सत्यापन का कार्य जारी है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि खनन स्थल राजस्व, वन विभाग या निजी भूमि के अंतर्गत आता है या नहीं। खनन का काम बोली प्रक्रिया के माध्यम से दिया जाएगा, जिसमें बेस लाइन मूल्य 15 करोड़ रुपये रखा जाएगा।
सिलिका रेत के उपयोग और खनन प्रक्रिया
सिलिका रेत, जिसे औद्योगिक रेत भी कहा जाता है, सिलिका और ऑक्सीजन के मिश्रण से बनी होती है और इसका उपयोग कांच निर्माण के अलावा मिट्टी के पात्र, निर्माण सामग्री, पेंट और खेल के मैदानों में भी होता है। खनन प्रक्रिया शुरू करने से पहले विभाग को कई प्रशासनिक प्रक्रियाएं पूरी करनी होंगी, जिसमें खनन योजना, सीमांकन, पर्यावरणीय स्वीकृति, और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) से अनुमति लेना शामिल है।
विभाग की खनन योजना और राजस्व की संभावना
विभाग का उद्देश्य इस महीने के अंत तक टेंडर प्रक्रिया को पूरा करना है, जिससे खनन कार्य समय पर शुरू किया जा सके। इसके अलावा, राज्य के कुमाऊं और गढ़वाल मंडलों की नदियों में खनन तथा बागेश्वर में खड़िया की निकासी के माध्यम से पहले से ही राजस्व उत्पन्न किया जा रहा है। नई सिलिका रेत खनन योजना से राज्य के खनन क्षेत्र में एक नए आयाम की शुरुआत होगी और प्रदेश के राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
इस परियोजना के क्रियान्वयन से न केवल आर्थिक लाभ होगा, बल्कि औद्योगिक विकास और रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे।