पौड़ी: स्वास्थ्य केंद्र थलीसैंण में भारी लापरवाही, डीएम के औचक निरीक्षण में खुलासा
पौड़ी जिले के पहाड़ी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की लचर स्थिति का एक और उदाहरण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थलीसैंण में देखने को मिला। जिलाधिकारी (डीएम) आशीष चौहान के औचक निरीक्षण के दौरान अस्पताल की दुर्दशा का खुलासा हुआ। डीएम के निरीक्षण में यह पाया गया कि अस्पताल में कोई भी कर्मचारी ड्यूटी पर मौजूद नहीं था और अस्पताल लावारिस स्थिति में छोड़ दिया गया था।
अस्पताल की हालत बदतर, बायो मेडिकल वेस्ट बेतरतीब फैला मिला
डीएम आशीष चौहान ने 30 सितंबर की रात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थलीसैंण का औचक निरीक्षण किया। यह अस्पताल थलीसैंण विकासखंड के दो दर्जन से अधिक गांवों के लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधा का प्रमुख केंद्र है, लेकिन निरीक्षण में अस्पताल की व्यवस्था बेहद खराब पाई गई। अस्पताल के सभी वार्ड और चिकित्सक कक्ष बंद थे, जबकि बायो मेडिकल वेस्ट को सही तरीके से निस्तारित करने के बजाय कूड़ेदान में बेतरतीब ढंग से फेंका हुआ पाया गया।
डीएम के अनुसार, ओपीडी रजिस्टर और अन्य चिकित्सा उपकरण खुले छोड़ दिए गए थे, और अस्पताल में 108 एम्बुलेंस सेवा का वाहन तो गेट पर खड़ा था, लेकिन मौके पर न तो कोई कर्मचारी मौजूद था और न ही वाहन चालक।
सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे
अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था का भी बेहद खराब हाल था। डीएम ने कहा कि रात्रिकालीन किसी आपात स्थिति में मरीजों के इलाज के लिए कोई चिकित्सकीय कर्मचारी मौजूद नहीं था। इतना ही नहीं, अस्पताल में कोई सुरक्षा कर्मी भी तैनात नहीं था, जिससे वहां रखे महत्त्वपूर्ण उपकरण, दवाइयां और अन्य परिसंपत्तियों की चोरी या क्षति होने की आशंका बनी रहती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अस्पताल में सुरक्षा कर्मी, वार्ड बॉय, फार्मासिस्ट और डॉक्टर की तैनाती अनिवार्य है ताकि ऐसी लापरवाही फिर से न हो।
सीएमओ से तलब की गई रिपोर्ट
डीएम आशीष चौहान ने निरीक्षण में मिली गंभीर लापरवाही के बाद तुरंत एक्शन लेते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) पौड़ी को 2 अक्टूबर को तलब किया है। सीएमओ से अस्पताल की अव्यवस्थाओं के लिए स्पष्टीकरण मांगा जाएगा, और स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना स्पष्ट करती है कि पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सुधारने की सख्त आवश्यकता है, ताकि स्थानीय निवासियों को उचित और समय पर चिकित्सा सेवाएं मिल सकें। प्रशासन से उम्मीद की जा रही है कि इस प्रकार की लापरवाही दोबारा न हो, और अस्पतालों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।