
देहरादून। उत्तराखंड के प्रसिद्ध हास्य कलाकार घनानंद उर्फ घन्ना भाई अब इस दुनिया में नहीं रहे। मंगलवार को देहरादून के एक निजी अस्पताल ने उनके निधन की पुष्टि की। वह बीते चार दिनों से वेंटिलेटर पर थे और आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए। उनके निधन से उत्तराखंड के कला और सिनेमा जगत में शोक की लहर दौड़ गई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घन्ना भाई के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और उनके परिजनों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।”
हास्य कलाकार बनने का सफर
1953 में पौड़ी गढ़वाल के गगोड़ गांव में जन्मे घनानंद की शिक्षा कैंट बोर्ड लैंसडाउन में हुई। उनका अभिनय सफर 1970 में रामलीला नाटक से शुरू हुआ। उनकी अनोखी हास्य शैली और व्यंग्य ने उन्हें जल्द ही लोकप्रिय बना दिया।
1974 में उन्होंने रेडियो और दूरदर्शन के कार्यक्रमों में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। उनकी संवाद शैली और हास्य शैली आम जनता के दिलों तक पहुंचने लगी। गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा में उनकी प्रस्तुतियों ने उत्तराखंड की लोकसंस्कृति को समृद्ध किया।
फिल्मी और राजनीतिक सफर
घन्ना भाई ने उत्तराखंड की कई सुपरहिट गढ़वाली और कुमाऊंनी फिल्मों में काम किया। उनकी चर्चित फिल्मों में घरजवें, चक्रचाल, बेटी-ब्वारी, जीतू बगडवाल, सतमंगल्या, घन्ना भाई एमबीबीएस, घन्ना गिरगिट और यमराज शामिल हैं।
फिल्मों के अलावा, घन्ना भाई ने राजनीति में भी हाथ आजमाया। 2012 में उन्होंने पौड़ी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद, उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई और वह अपने हास्य के जरिए लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाते रहे।
उत्तराखंड कला जगत में शोक
उत्तराखंड के फिल्म, रंगमंच और साहित्य जगत से जुड़े कई लोगों ने घन्ना भाई को श्रद्धांजलि अर्पित की। सोशल मीडिया पर भी उनके प्रशंसकों ने उनके प्रसिद्ध संवादों और हास्य अभिनय को याद किया।