गढ़वाल वन प्रभाग में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू हुआ प्रयोग
उत्तराखंड वन विभाग ने वनों के संरक्षण और प्रबंधन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग शुरू किया है। विभाग ने गढ़वाल वन प्रभाग की कार्य योजना तैयार करने के लिए इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह नई तकनीक वनों के सतत प्रबंधन और जैव विविधता संरक्षण में एक बड़ी भूमिका निभाएगी।
मुख्य वन संरक्षक ने बताया AI के उपयोग के लाभ
मुख्य वन संरक्षक ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसके माध्यम से विभाग को बेहतर विश्लेषण और प्रबंधन के लिए नई तकनीकी विधियां प्राप्त हो रही हैं। उन्होंने कहा, “AI की मदद से हम जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने, जैव विविधता को संरक्षित करने और वनों के सतत प्रबंधन की दिशा में कारगर कदम उठा सकते हैं।”
AI के उपयोग से वनस्पति पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को गहराई से समझने में मदद मिलेगी, जिससे वन विभाग अपने प्रबंधन में सुधार कर सकेगा। यह तकनीक वनों में होने वाले परिवर्तनों का सटीक पूर्वानुमान लगाने और उसके अनुरूप कार्य योजना बनाने में भी सहायक होगी।
वन विभाग के लिए AI का महत्व
उत्तराखंड, जिसे अपने विशाल वन क्षेत्र और जैव विविधता के लिए जाना जाता है, का लगभग दो-तिहाई हिस्सा वनों से आच्छादित है। इस स्थिति में, वनों का संरक्षण और उनके संसाधनों का उचित प्रबंधन बेहद जरूरी हो जाता है। AI जैसी तकनीक इन चुनौतियों का सामना करने में विभाग के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित हो सकती है।
सतत वन प्रबंधन और संरक्षण की नई पहल
वन विभाग के इस कदम से न केवल वनों के संरक्षण में सुधार होगा, बल्कि स्थानीय वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के लिए भी बेहतर वातावरण सुनिश्चित किया जा सकेगा। यह तकनीक सतत विकास के लक्ष्यों को पूरा करने में भी योगदान देगी। साथ ही, जलवायु परिवर्तन और अन्य पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए विभाग को अधिक सशक्त बनाएगी।
उत्तराखंड वन विभाग का यह प्रयास भविष्य में वनों के प्रबंधन और संरक्षण के लिए एक नई मिसाल पेश कर सकता है। AI के उपयोग से न केवल विभाग को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी, बल्कि प्रदेश के वनों के लिए भी एक स्थायी समाधान की राह खुलेगी।